सत्यजीत रे देश और दुनिया में बड़े संजीदा फिल्मकार माने जाते हैं. लेकिन आदिवासियों को लेकर उनमें, बॉलीवुड और हॉलीवुड के नजरिए में कोई मतभेद नहीं है. हॉलीवुड ने जिस तरह से ब्लैक किरदारों के लिए शुरुआत में व्हाइट्स लोगों का चेहरा पोतकर ब्लैक कलाकारों को फिल्मों में आने से रोका और उनका स्टीरियोटाइप चित्रण किया. ठीक ऐसे ही सत्यजीत रे ने भी अपनी फिल्म 'अरण्येर दिनरात्रि' (1970) में सिम्मी ग्रेवाल का चेहरा पोतकर संताली किरदार 'दुली' का रोल करवाया. तो जब रे साहब को ही समूचे बंगाल में कोई संताल आदिवासी कलाकार नहीं मिली तो इसमें क्या आश्चर्य कि 100 साल के बॉलीवुड को आज तक कोई आदिवासी कलाकार नहीं मिला. फिर भी रे महान हैं और बॉलीवुड के जलवों का क्या कहना!
বাঙালির সম্পূর্ণ ভূগোল,ইতিহাস,সংস্কৃতি,সাহিত্য, শিল্প,অর্থ,বাণিজ্য,বিশ্বায়ণ,রুখে দাঁড়াবার জেদ, বৌদ্ধময় ঐতিহ্য, অন্ত্যজ ব্রাত্য বহিস্কৃত শরণার্থী জীবন যাপনকে আত্মপরিচয়,চেতনা,মাতৃভাষাকে রাজনৈতিক সীমানা ডিঙিয়ে আবিস্কার করার প্রচেষ্টা এই ব্লগ,আপনার লেখাও চাই কিন্তু,যে স্বজনদের সঙ্গে যোগাযাগ নেই,তাঁদের খোঁজে এই বাস্তুহারা তত্পরতা,যেখবর মীডিয়া ছাপে না, যারা ক্ষমতার, আধিপাত্যের বলি প্রতিনিয়তই,সেই খবর,লেখা পাঠান,খবর দিন এখনই এই ঠিকানায়ঃpalashbiswaskl@gmail.com
Wednesday, September 17, 2014
सत्यजीत रे ने भी अपनी फिल्म ‘अरण्येर दिनरात्रि’ (1970) में सिम्मी ग्रेवाल का चेहरा पोतकर संताली किरदार ‘दुली’ का रोल करवाया. तो जब रे साहब को ही समूचे बंगाल में कोई संताल आदिवासी कलाकार नहीं मिली तो इसमें क्या आश्चर्य कि 100 साल के बॉलीवुड को आज तक कोई आ
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