(मज़दूर बिगुल के मार्च 2015 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
विशेष लेख
समाजवादी चीन ने स्त्रियों की गुलामी की बेड़ियों को कैसे तोड़ा / श्वेता
पूँजीवादी व्यवस्था में न्याय सिर्फ़ अमीरों के लिए है! / रामबाबू
विरासत
भगतसिंह की बात सुनो ! स्मृति से प्रेरणा लो, विचारों से दिशा लो!
साहित्य
कॉमरेड: एक कहानी / मक्सिम गोर्की
पर्यावरण
दूसरा उत्तराखंड बनने की राह पर हैं हिमाचल प्रदेश / मनन
महान शिक्षकों की कलम से
पूँजी के और उजरती श्रम के हित हमेशा एक दूसरे के बिल्कुल विरोधी होते हैं – मार्क्स की प्रसिद्ध रचना 'उजरती श्रम और पूँजी' के अंश
कार्ल मार्क्स की समाधि पर फ्रेडरिक एंगेल्स का भाषण
आन्दोलन/जनकार्रवाइयां
हरियाणा के मनरेगा मज़दूरों का संघर्ष जारी! / बिगुल संवाददाता
मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने गये मेट्रो मज़दूरों पर बरसी पुलिस की लाठी / बिगुल संवाददाता
बोलते आँकड़े, चीखती सच्चाइयाँ
भारत में जन्म लेने वाले अधिकतर बच्चे और उन्हें जन्म देने वाली गर्भवती माँएँ कुपोषित / गीतिका
हर पाँच में चार लोग अपराध साबित हुए बिना ही भारतीय जेलों के नर्क के क़ैदी हैं / अमेन्द्र कुमार
कारखाना-बस्तियों से
काम के ज़्यादा दबाव की वजह से दिमागी संतुलन खोता म़जदूर / बलराम मौर्या, गुड़गांव
सलूजा धागा मिल में मशीन से कटकर एक मज़दूर की मौत / संदीप नैयर
मज़दूरों की समस्या का समाधान नग वाली अँगूठी से नहीं बल्कि संघर्ष से होगा / रामसेवक, लुधियाना
मज़दूर बिगुल पढ़कर एक क्लास पूरा हो जाता है / कालेश्वर, झारखण्ड
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