वंशी चौधरी मेरे बाल सखा हैं। नियमित रूप से उनकी दुकान पर पान खाते हुए दुनिया ज़हान की बातें हो जाती हैं, सूचनाओं का आदान-प्रदान हो जाता है. कुछ समय पूर्व उनसे त्रेपन सिंह चौहान की 'हे ब्वारी' की चर्चा हुई तो उन्होंने पढ़ने की इच्छा ज़ाहिर की। पढ़ कर वे इतने प्रभावित हुए कि और किताबों की डिमांड करने लगे। अब पाँच महीनों में उन्हें लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास पढ़ा चुका हूँ और उतने से ही वे मानने लगे हैं कि अख़बार पढ़ कर दुनिया को जानने का उनका जो नज़रिया था, वह बेहद अधूरा और एकांगी था। हमारा देश और समाज दरअसल वैसे नहीं हैं, जैसा मीडिया उसे दिखाता है।
वंशी चौधरी संयोगवश इतना समझे, मगर मैं उन अगणित पढ़े-लिखों को कैसे समझाऊँ कि किताबों के बगैर, सिर्फ दो-चार अख़बार पढ़ या चैनल देख कर प्राप्त उनका ज्ञान कितना अधूरा है ?
বাঙালির সম্পূর্ণ ভূগোল,ইতিহাস,সংস্কৃতি,সাহিত্য, শিল্প,অর্থ,বাণিজ্য,বিশ্বায়ণ,রুখে দাঁড়াবার জেদ, বৌদ্ধময় ঐতিহ্য, অন্ত্যজ ব্রাত্য বহিস্কৃত শরণার্থী জীবন যাপনকে আত্মপরিচয়,চেতনা,মাতৃভাষাকে রাজনৈতিক সীমানা ডিঙিয়ে আবিস্কার করার প্রচেষ্টা এই ব্লগ,আপনার লেখাও চাই কিন্তু,যে স্বজনদের সঙ্গে যোগাযাগ নেই,তাঁদের খোঁজে এই বাস্তুহারা তত্পরতা,যেখবর মীডিয়া ছাপে না, যারা ক্ষমতার, আধিপাত্যের বলি প্রতিনিয়তই,সেই খবর,লেখা পাঠান,খবর দিন এখনই এই ঠিকানায়ঃpalashbiswaskl@gmail.com
Tuesday, December 23, 2014
हमारा देश और समाज दरअसल वैसे नहीं हैं, जैसा मीडिया उसे दिखाता है।
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