जन अधिकार यात्रा
मo प्रo के किसानों, मजदूरों, मछुआरों, कारीगरों, बुद्धिजीवियों, जागो।
विविध जन-संगठनों की प्रदेश यात्रा : देश प्रदेश, संविधान बचाने, जन अधिकार जताने।
11 से 19 जनवरी, 2016 : छिंदवाडा से इन्दौर तक
देश की हालत का अंदाजा लगाना है तो किसान-मजदूरों की, खेतिहरों की स्थिति जाँचिये। सभी संवेदनशील नागरिक यही कहेंगें, जो कि पिछले दस सालों में हुई किसानों की आत्महत्या की खबर से चिंतित ही नहीं, शर्मिंदा भी हैं। हमारे देश की 70 प्रतिशत जनता खेती पर निर्भर होते हुए भी न किसान की जान सुरक्षित है, न पूरी जनता ने भोजन सुरक्षा पाई है। यह स्थिति पैदा हुई है, केवल गलत नीतियों के कारण जो कि खेतिहरों के,किसानी के विरोधी रही है और आज की सरकार से किसानों की वंचना, शोषण एवं लूट को बढ़ावा देती जा रही है। इस खेती प्रधान देश का खेती और खेतिहर, दोनों संकट में है, जिन्हें बचाना हमारा कर्तव्य है। इस देश के संविधान की पुकार है, आज़ादी आंदोलन के शहीदों की सौगंध है।
पिछले कुछ सालों से देश के विभिन्न राज्यों के किसानों ने, वैसे ही मध्यप्रदेश के, जो प्राकृतिक आपदा भुगती है, उससे हैरान हैं समूचा ग्रामीण क्षेत्र एवं छोटे-छोटे कस्बों के छोटे व्यापारी, व्यवसायिक भी, किन्तु प्रदेश की सरकार ज़रा भी दुखी नहीं है। उसे नुकसान भरपाई अदा करने की इच्छा नहीं है। झूठ आश्वासनों और बयानों से किसानों की कर्जदारी दूर नहीं हो सकती, न ही उसके बाल बच्चों का पेट भरना या शिक्षा पाना संभव होता सकता है। उसपर बीमा योजना की मार और भू-अधिग्रहण का आतंक। विकास के नाम पर किसान की तथा देश प्रदेश की संपदा, भूमि, जल-नदी,खनिज.... लूटने की साजिश में शासन के साथ-साथ पूंजीपती भी शामिल हैं। देश के अडानी, अंबानी तो हैं ही, लेकिन विदेशों से आ रहे उद्योगपतियों को बुलावा देकर हमारे शासक ही तो हैं जो यहाँ की भूमि, पानी, श्रमशक्ति को दान करते जा रहे हैं। अंग्रेजों के साम्राज्यवादी शासन से भी अधिक विस्थापन, प्राकृतिक विनाश और आर्थिक विषमता थोपी जा रही है। एक ओर गाँवों की हत्या, किसानों की आत्महत्या तो दूसरी ओर पलायन से शहरों में रोजी-रोटी ढूँढते, बसते जा रहे गरीबों की अमानवीय अवस्था, असुरक्षित, असंगठित रखे गये श्रमिकों की दुर्दशा देखी नहीं जाती। यह सब गैर बराबरी बढ़ाने की, कंपनियों और मुट्ठीभरों को ही बख्शने की राजनीतिक साजिश के कारण हो रहा है।
कंपनियेां को 5 सालों में 35 लाख करोड़ रू की छूट देने वाले शासनकर्ता क्या किसानों को सब्सिडी तथा खेती उपज का सही दाम, सही समर्थन मूल्य नहीं दे सकते हैं? श्रम का सही मूल्य और रोज़गार खत्म नहीं, निर्माण करने वाला, प्राकृतिक संपदा और मनुष्य शक्ति पर आधारित औद्योगिकरण नहीं ला सकते हैं? बड़े शोषणकारी विनाशकारी उद्योग, योजनाओं के बदले, रोजी-रोटी-कपड़ा-मकान-शिक्षा-स्वास्थ्य हर नागरिक को देनेवाला विकास संभव है, बस आवाज उठानी होगी, श्रमजीवी और बुद्धिजीवियों को गांव शहरों के हर नागरिकों को आंदोलन करना होगा।
जनता जाग तो रही है। हर जगह आक्रोश है। केन्द्र में बैठी मोदी सरकार जब कानून ही बदलकर चुनाव में निवेश करने वाले पूंजीपती उद्योगपतियों को मुँह मांगे हक, छूट, कार्यक्षेत्र, देश के संसाधन और मुनाफा देती जा रही है... तो आम जनता भी आक्रोशित ही नहीं, आंदोलित भी है। सरकार द्वारा विश्व व्यापार संगठन के मंच पर किया गया समझौता किसानों के लिए खतरा है।
विकास के बदले विस्थापन का हाहाकार, नर्मदा घाटी के हर बांध में, सीधी-रीवा के सिंगरौली क्षेत्र में, छिंदवाड़ा-बैतुल-कटनी में, वैसे ही शहर की झुग्गी झोपड़ियों में भी है। न केवल ग्रामोद्योग बल्कि अपनी मेहनत की कमाई करते, उसके लिये छोटी सी जगह मांगते फेरीवाले भी उजाडे जा रहे हैं। हर क्षेत्र में विदेशी पूंजी एफ.डी.आई. को लाने के बजाय हमें इस विस्थापन से हो रहे विकास का विकल्प खोजना है जो कि समता-न्याय-समाजवादी नीति और नियेाजन हो सकता है। लेकिन शासक तो कानून को ही बदलकर अन्याय थोप रहें हैं, तो संघर्ष ही एक मात्र विकल्प रह गया है।
जाति, धर्म, या लिंग के आधार पर समाज को तोड़ने के साजिश की हकीकत भी अब खुलकर सामने आ गई है। हमारे अस्तित्व की, जीने की औरजीविका की समस्याओं को नजर अंदाज करके, अस्मिता को बढ़ावा देनेवाले, दलितों, आदिवासियेां, अल्पसंख्यको को कुचल रहे हैं। उनसे जतन की गई संस्कृतियां, विविधता, विशेषताएँ, भाषा-भूषा और खान-पान ही क्या, उनके देव धर्म, जीने की राह की अवमानना भी करते जा रहें हैं। ऐसे समय में बुद्धिजीवी, कलाकार तथा साहित्यिकों ने भी आवाज उठायी है, पुरस्कार वापसी के माध्यम से अपना विरोध दर्शा रहे हैं।
तो आइये, जन-संगठनों की मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से होकर गुजरने वाली देश-प्रदेश बचाओ यात्रा में शामिल होइये। जनता की ताकत से ही खड़ा हो पाएगा जन-आंदोलन ।
· 'भूमि अधिकार आंदोलन' जनतंत्र को बचाने के लिए, इस यात्रा के माध्यम से सभी संगठनों को साथ लेकर, जन-जन की समस्या पर आवाज उठाएगा ।
· किसानों की कर्जदारी और आत्महत्याओं के मामलों को सुलझाना, लूट पर रोक लगाना, जैविक खेती को अपनाकर स्वावलंबी बनाना, संघर्ष और निर्माण की दिशा को तय करना।
· प्राकृतिक आपदा से नुकसान की भरपाई की मांग उठाना।
· प्राकृतिक संसाधनों से जुड़कर औद्योगिकरण का विकल्प जनता के सामने रखना।
· सही 'प्रजा-सत्ताक' संवैधानिक मूल्यों, मानव अधिकारों की रक्षा की ओर बढ़ना।
· राष्ट्रीय चेतना की नीव रखना।
· विकास के नाम पर अजनतांत्रिक, बिना पुनर्वास, बगैर सहमति, जबरन भूमि अधिग्रहण व कार्पोरेट के मुनाफे के लिए समस्त क़ानून ताक पर रखकर किये जा रहे विस्थापन की खिलाफत करना।
· किसानों की दुर्दशा के मामले में उनकी बढ़ती आत्महत्याएं और कर्ज बिल माफी में राज्य सरकार का पीछे हटने का विरोध करना।
मध्यप्रदेश के विविध जन-संगठनों के वरिष्ठ साथी, किसान-मजदूरों, मछुआरों के प्रतिनिधि, और राष्ट्रीय स्तर के आंदोलनकारी साथ-साथ चलेगें। आपके क्षेत्र में पधारेगें.... आप से संवाद करेगें।
छिंदवाड़ा से निकलकर मुलताई, बैतूल, इटारसी, कटनी, जबलपुर, रीवा, सीधी, सिंगरोली, छतरपुर,ग्वालियर, मुरेना, रतलाम, बड़वानी, इन्दौर तक चलेगी, जनजागरण यात्रा।
हर प्रगतिशील जन संगठन को ऐलान है कि वे बड़ी संख्या मेन सम्मिलित हो इस यात्रा को सफल बनाएँ।... इस मार्ग पर एक सशक्त राष्ट्रीय जन-आंदोलन खड़ा करने की ओर।
24 फरवरी को दिल्ली में जुटेंगें हम, फिर एक बार...लेके रहेगे हमारा हर अधिकार ।
यात्रा की जानकारी के लिए नीचे दी गयी तालिका देखें। (विस्तृत समय सारिणी संलग्न है।)
दिनांक | स्थान | संपर्क व्यक्ति | फोन नंबर |
11/01/2016 | छिंदवाडा | आराधना भार्गव | 09425146991 |
12/01/2016 | बैतूल | डॉ सुनीलम | 09425109770 |
12/01/2016 | इटारसी | डॉ कश्मीर सिंह उप्पल | 09425040457 |
13/01/2016 | कटनी | ए. के. खान | 09893972539 |
13/01/2016 | जबलपुर | अरविन्द श्रीवास्तव | 09826115611 |
14/01/2016 | सीधी | उमेश तिवारी / सुंदर सिंह बाघेल | 09630650570 / 09993872510 |
15/01/2016 | सतना | संजय सिंह तोमर | 09425172652 |
16/01/2016 | मोरेना | अशोक तिवारी | 09893214966 |
17/01/2016 | ग्वालियर | अखिलेश यादव | 09425113347 |
18/01/2016 | बडवानी | मीरा जी, मुकेश भदोरिया | 09174181215 / 09826811982 |
19/01/2016 | इंदौर | अशोक दुबे / चिन्मय जी / प्रमोद जी | 09424577474 / 09893278855 09827021000 |
आपके विनीत
किसान संघर्ष समिति, अखिल भारतीय किसान सभा, नर्मदा बचाओ आंदोलन, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन, मध्यप्रदेश आदिवासी एकता महासभा, जन-आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम), समाजवादी समागम, किसान मंच, वन-जन श्रमजीवी संगठन, विंध्य जन-आंदोलन समर्थक समूह, जागृत आदिवासी दलित संगठन और अन्य जनसंगठन
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