पहली बात - गो वध या भक्षण को महिमा मण्डित नही किया जाना चाहिए । भारत में तो कतई नहीं ।
2सरी बात - गो वध या भक्षण के अपराध या सन्देह में किसी को मार डालना न तो संविधान सम्मत है , न धर्म सम्मत और न नीति सम्मत ।
3सरी बात - गो मांस भक्षण को पर्व या समारोह की तरह आयोजित करना निसन्देह चिढ़ाने की कार्रवाई और पिटने की उम्मीदवारी है ।
4थी बात - मैं धर्म को नहीं मानता , लेकिन दूसरों के धर्म स्थल में जाकर मूतूं , तो जुतियाये जाने का पूरा हक़दार हूँ ।
और आख़री बात - भारत में अभी भी दलित और अल्प संख्यक भेद भाव एवं द्वेष का शिकार हैं । इस लिए उनमे से कुछ मौक़ा मिलते ही अपनी कुंठा निकालने हेतु उलजुलूल हरकतें कर बैठते हैं । उनके कृत्यों को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए । सबको सम्मान और बराबरी का दर्ज़ा मिलने तक अमुक उत्पात होते रहेंगे ।
বাঙালির সম্পূর্ণ ভূগোল,ইতিহাস,সংস্কৃতি,সাহিত্য, শিল্প,অর্থ,বাণিজ্য,বিশ্বায়ণ,রুখে দাঁড়াবার জেদ, বৌদ্ধময় ঐতিহ্য, অন্ত্যজ ব্রাত্য বহিস্কৃত শরণার্থী জীবন যাপনকে আত্মপরিচয়,চেতনা,মাতৃভাষাকে রাজনৈতিক সীমানা ডিঙিয়ে আবিস্কার করার প্রচেষ্টা এই ব্লগ,আপনার লেখাও চাই কিন্তু,যে স্বজনদের সঙ্গে যোগাযাগ নেই,তাঁদের খোঁজে এই বাস্তুহারা তত্পরতা,যেখবর মীডিয়া ছাপে না, যারা ক্ষমতার, আধিপাত্যের বলি প্রতিনিয়তই,সেই খবর,লেখা পাঠান,খবর দিন এখনই এই ঠিকানায়ঃpalashbiswaskl@gmail.com
Tuesday, January 19, 2016
Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna 4 hrs · पहली बात - गो वध या भक्षण को महिमा मण्डित नही किया जाना चाहिए । भारत में तो कतई नहीं । 2सरी बात - गो वध या भक्षण के अपराध या सन्देह में किसी को मार डालना न तो संविधान सम्मत है , न धर्म सम्मत और न नीति सम्मत । 3सरी बात - गो मांस भक्षण को पर्व या समारोह की तरह आयोजित करना निसन्देह चिढ़ाने की कार्रवाई और पिटने की उम्मीदवारी है । 4थी बात - मैं धर्म को नहीं मानता , लेकिन दूसरों के धर्म स्थल में जाकर मूतूं , तो जुतियाये जाने का पूरा हक़दार हूँ । और आख़री बात - भारत में अभी भी दलित और अल्प संख्यक भेद भाव एवं द्वेष का शिकार हैं । इस लिए उनमे से कुछ मौक़ा मिलते ही अपनी कुंठा निकालने हेतु उलजुलूल हरकतें कर बैठते हैं । उनके कृत्यों को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए । सबको सम्मान और बराबरी का दर्ज़ा मिलने तक अमुक उत्पात होते रहेंगे ।
Pl see my blogs;
Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment