आनेवाले भूंकप को रोकने के लिए
हिमालय और समुंदर की सेहत के लिए आप कर क्या रहे हैं?
जो निगरानी तंत्र है,सीआईए और मोसाद की अगुवाई में नागरिकों की पलछिन पल छिन जो चौबीसों घंटे ड्रोन,सेंसर,रोबाट और डिजिटल निगरानी है,उसके बाद पठानकोट का हादसा अगर दिल्ली और बिहार की हार के बाद यूपी जीतने के लिए युद्ध का कोई समझौता और राजनय नहीं है तोसमझ लीजिये दसों दिशाओं में जो परमाणु बम और चूल्हे लगाये जा रहे हैं ,उनका भूंकप रिएक्टर स्केल पर क्या होना है।
पलाश विश्वास
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हम लोग चिपको आंदोलन की शुरुआत से यह चेतावनी जारी करते रहे हैं।नेपाल के महाभूकंप से पहले केदार जलप्रलय और उससे भी पहले सुनामी के बाद से जारी आपदाओं के संदर्भ में हम लगातार हस्तक्षेप करते रहे हैं।
2012 में इसी सिलसिले में हमने एक वीडियो चेतावनी भी जारी कर दी थीः
WARNING Against Imminent Massive Earthquake in the ...
letmespeakhuman.blogspot.com/.../warning-against-i...
Sep 22, 2015 - I had posted this warning much before Nepal Earthquake! ... Published on 26 May 2012 Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT ...
Webcam video from 31 December 2012 2:53 - YouTube
https://www.youtube.com/watch?v=_a-xh9iCtFQ
Dec 30, 2012 - Uploaded by Palash Biswas
An Warning against massive earthquakes Imminent in the Himalayan Region. ... Palash Biswas ...
The Inflated Economy kills Agrarian communities,Indian ...
https://www.youtube.com/watch?v=dt2xUV0c8Jg
Sep 30, 2015 - Uploaded by Palash Biswas
Palash Biswas ... I have been warning the CII,FICCI and Indian Inc that the domestic market flooded with ...
अब लेकिन नई दिल्ली से मीडिया की खबर है,केन्द्रीय गृह मंत्रालय के भूकंप विषेशज्ञों ने एक बड़ी चेतावनी देते हुए सख्त लहजे में कहा कि जल्द ही भारत में भयंकर तबाही मचाने वाला एक बड़ा भूकंप आ सकता है।
भूकंप विषेशज्ञों की मानें तो भूकंप की तीव्रता 8.2 या फिर इससे भी ज्यादा हो सकती है। फिर तबाही का आलम का अंदाजा भी लगा लें।
अब विशेषज्ञों की चेतावनियां भी कोई नई चीज नहीं हैं,दरअसल हम कोई खुदा नहीं है और हम उन्हींके अध्ययन,शोध और वक्तव्य के आधार पर प्राकृतिक संसाधनों की लूटखसोट के मौजूदा कानूनी तंत्र मंत्र यंत्र का विरोध सत्तर दशक से मनुष्यता और सभ्यता के लिए मंडरा रही कयामती बादलों के मद्देनजर अविराम करते रहे हैं।
इसी सिलसिले में सुंदरलाल बहुगुणा से लेकर उत्तराखंड की औरतें लगातार आंदोलन पर है लेकिव विकास के नाम पर अधर्म और अनैतिकता,आपराधिक कृत्य, बेदखली, लूटतंत्र और बलात्कार सुनामी जारी है धर्म के नाम पर।
समरसता के नाम पर जबकि मुक्तबाजार की नरसंहारी संस्कृति को वैधता देने के लिए रोजाना संविधान की हत्या की जा रही है।
मौसम परिवर्तन,जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण चेतना का सारा ढकोसला गैरकानूनी बेदखली,बलात्कार सुनामी को कानूनी सैन्य अश्वमेधी वैदिकी राजसूय बनाने का राजकाज है और प्रकृित से जुड़े समुदायों खास तौर पर देहात, पहाड़, जंगल, नदी क्षेत्र, झील, घाटी और समुद्रतटवर्ती अंचलों में सैन्य शासन के तहत विकास के नाम पर सफाया का सलवा जुड़ुम और विशेष सैन्य अधिकार कानून का राजकाज जारी है,जहां न कानून का राज है और न न्याय के लिए कोई जनसुनवाई का मौका है।
चूंकि कारपोरेट मीडिया विदेशी पूंजी और विदेशी हितों से बंधा है तो लगातार उत्पीड़न,शोषण और वंचना के विरुद्ध जनता और कासतौर पर पीड़ित उत्पीड़ित आम स्त्री पुरुषोंं की चीखें दर्ज कराने के लिए हम जनसुनवाी के मंच बतौर वैकल्पिकमीडिया को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं।
चीन में शेयरों की गिरावट का जो असर भारत के साथ साथ विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर हो रहा है,उससे विकास का कच्चा चिट्ठा कोल रहा है कि मुक्त बाजार दरअसल भोग का कार्निवाल है।
बेलगाम बलात्कार सुनामी है यह जो महाभारत के शतरंज की तरह वैध है और कानून और संविधान खामोश है ।
विकास दर के रेटिंग एजंसियों की ओर से प्रायोजित आंकड़ों और बुलरन से उत्पादन प्रणाली का कुछ बी लेना देना नहीं है।
सांढों की उछाल विदेशी निवेशकों की आस्था है जिसे वंचित जनता की आस्था और उनकी आकांक्षाओं से जोड़कर राष्ट्रीयता का जो बवंडर खड़ा किया जा रहा है,वही सबसे बड़ा महाभूकंप है,परमाणु विकिरण है वह,प्रदूषण है वह और राष्ट्रद्रोह का आत्मघाती अधर्म भी।
जो निगरानी तंत्र है,सीआईए और मोसाद की अगुवाई में नागरिकों की पलछिन पल छिन जो चौबीसों घंटे ड्रोन,सेंसर,रोबाट और डिजिटल निगरानी है,उसके बाद पठानकोट का हादसा अगर दिल्ली और बिहार की हार के बाद यूपी जीतने के लिए युद्ध का कोई समझौता और राजनय नहीं है तोसमझ लीजिये दसों दिशाओं में जो परमाणु बम और चूल्हे लगाये जा रहे हैं ,उनका भूंकप रिएक्टर स्केल पर क्या होना है।
विशेषज्ञों का कहना है किभूकंप से पहले ही तबाही झेल चुके भारत के यह भूकंप हिमालयी क्षेत्र को हिलाकर रख सकता है।इसपर तुर्रा यह कि इस चेतावनी पर बारत सरकार की मुहर बी लगी है। उनका कहना है कि सोमवार को उत्तरभारत के मणिपुर में आए भूकंप से कही अधिक तीव्रता वाला एक भूकंप भविष्य में इस इलाके को हिलाने वाला है। हालांकि कुछ भारतीय वैज्ञानिकों का मत इससे अलग है।
तो सवाल है कि आनेवाले भूंकप को रोकनवे के लिए हिमालय और समुंदर की सेहत के लिए आप कर क्या रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय भूकंप विषेशज्ञों ने भी जताई आशंका
लेकिन अंतर्राष्ट्रीय भूकंप विषेशज्ञों का भी मानना है कि मौजूदा हालात और हाल में आए भूकंपों के संदर्भ को देखते हुए तीव्र संभावना जताई जा रही है 8.0 से अधिक तीव्रता वाले कम-से-कम 4 भूकंप इस क्षेत्र में आ सकते हैं।
भूकंप विषेशज्ञों का कहना है कि अगर ये भूकंप की तबाही आने में समय लगता है तो कई सदियों से जमा दबाव कई गुना अधिक भयंकर भूकंप को न्यौता दे सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सोमवार को मणिपुर में आए भूकंप से कहीं अधिक तीव्रता वाले एक भूकंप भविष्य में इस इलाके को हिलाने वाला है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाल ही में मणिपुर 6.7 (जनवरी 2016), नेपाल में 7.3 (मई 2015) और सिक्किम में साल 2011 में आए 6.9 तीव्रता वाले भूकंपों की वजह से यहां की भूगर्भीय प्लेटों में और उथल-पुथल हो गई है।
MHA के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM) ने चेतावनी दी थी कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र, खासतौर पर पहाड़ो में भयंकर भूकंप का खतरा काफी बढ़ गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे संकट की स्थितियों से लड़ने के लिए भारत के शहरी इलाकों की स्थिति काफी कमजोर है और अगर बेहद आबादी वाले भारत के किसी शहरी इलाके में भूकंप आता है तो जानमाल का बहुत ज्यादा नुकसान होने की संभावना है।
भारत के 11 पहाड़ी राज्यों के नीति निर्माताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया और पहाड़ों पर मंडरा रहे इस बेहद गंभीर संकट से निपटने के लिए एक कार्यक्रम व योजना शुरू करने का फैसला किया।
भूकंपीय संवेदनशीलता के मुताबिक भारत 4 क्षेत्रों में बंटा हुआ है। सबसे संवेदनशील क्षेत्र वर्ग 5 को माना जाता है। इसमें पूर्वोत्तर के राज्य, उत्तरी बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, गुजरात और अंडमान व निकोबार द्वीप आते हैं। दिल्ली वर्ग 4 में है और इसे काफी संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है।
2015-16 में आए भूकंप के झटकों से भूगर्भीय प्लटों में उथल-पुथल
-हाल ही में (जनवरी 2016) को मणिपुर में 6.7 रिएक्टर स्केल तीव्रता वाला भूकंप आया।
-भारत के पड़ोसी राज्य नेपाल में मई 2015 में 7.3 रिएक्टर स्केल तीव्रता वाला भूकंप आया, जिसने नेपाल को हिला कर रख दिया।
-भारत के उत्तरी पश्चिम में स्थित सिक्किम राज्य में साल 2011 में 6.9 रिएक्टर स्केल पर आए भयंकर भूकंप के झटकों भूगर्भीय प्लेटों को हिलाकर रख दिया।
-एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन भूकंप के झटकों ने भूगर्भीय प्लेटों को उथल-पुथल कर रख दिया है। इन झटकों के दौरान इनमें दरारें पैदा हो गई थीं।
-हालिया भूकंप के झटकों के कारण स्थिति और गंभीर हो गई है। इसके कारण कई भूकंप आ सकते हैं, जो कि 8.0 की तीव्रता तक के हो सकते हैं।
पहाड़ी क्षेत्रों में भूकंप का खतरा बढ़ा
-नेपाल में आए भूकंप के बाद किए गए विश्लेषण में एमएचए के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) ने चेतावनी दी थी कि खासतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में भयंकर भूकंप के झटके आ सकते हैं।
-ईटानगर में हाल ही में आयोजित एनआईडीएम की एक बैठक में इस गंभीर संकट से निपटने के लिए एक कार्यक्रम व योजना शुरू करने का फैसला किया।
इन राज्यों में भयंकर तबाही का अंदेशा
-एक्सपर्ट्स का मानना है कि नेपाल, भूटान, म्यांमार और भारत की भूगर्भीय प्लेटें आपस में जुड़ी हुई हैं इसलिए इस क्षेत्र में भारी तबाही का आने का अंदेशा है।
-भारत के पहाड़ी राज्यों व बिहार, उत्तर प्रदेश और राजधानी दिल्ली पर भी भूकंप का खतरा मंडरा रहा है।
-भूकंपीय संवेदनशीलता के मुताबिक भारत 4 क्षेत्रों में बंटा हुआ है।
-दिल्ली भूकंपीय इलाकों के वर्गीकरण के मुताबिक बेहद संवेदनशील माने जाने वाले वर्ग 4 का हिस्सा है।
-पूर्वोत्तर राज्य और अन्य पहाड़ी भूभाग के राज्य वर्ग 5 में आते हैं।
-सबसे संवेदनशील क्षेत्र वर्ग 5 को माना जाता है। इसमें पूर्वोत्तर के राज्य, उत्तरी बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात और अंडमान व निकोबार द्वीप आते हैं।
भूकंप विषेशज्ञों का कहना
-कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार ने सभी पहाड़ी भूभाग वाले राज्यों को इस विषय में जानकारी दे दी है और उनसे एक कॉमन बिल्डिंग कोड अपनाने को कहा है।
-एनआईडीएम के विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तर में हिमालयी क्षेत्र के भूगर्भीय प्लेटों के पूर्व में इंडो-बर्मीज प्लेटों से टकराने के कारण एक संकट और जोखिम खड़ा हो गया है, जो कि फिलहाल सबसे ज्यादा है।
-भूकंप विषेशज्ञों का कहना है कि ऐसे संकट की स्थितियों से लड़ने के लिए भारत के शहरी इलाकों की स्थिति काफी कमजोर है और अगर बेहद आबादी वाले भारत के किसी शहरी इलाके में भूकंप आता है तो जानमाल का बहुत ज्यादा नुकसान होने की संभावना है।
असम में फिर कांपी धरती
सोमवार के भूकंप से अभी पूर्वोत्तर राज्य संभले भी नहीं थे कि बुधवार को असम में फिर भूकंप का झटका आया. गनीमत यह रही कि भूकंप की तीव्रता 4.0 थी. यह झटका दोपहर को 3 बजकर 55 मिनट पर महसूस किया गया.
इससे पहले सोमवार को असम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल, बिहार, झारखंड सहित कई इलाको में झटके महसूस किए गए थे. भूकंप का केंद्र इंफाल से 33 किमी दूर और गहराई 35.0 किमी नीचे मापी गई थी. सोमवार के भूकंप में 9 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से ज्यादा घायल हुए थे.
भारत में कौन क्षेत्र भूकंप के हिसाब से ज्यादा खतरे में
भूंकप के खतरे के हिसाब से भारत को चार जोन में विभाजित किया गया है। जोन दो-दक्षिण भारतीय क्षेत्र जो सबसे कम खतरे वाले हैं। जोन तीन-मध्य भारत, जोन चार-दिल्ली समेत उत्तर भारत का तराई क्षेत्र, जोन पांच-हिमालय क्षेत्र और पूर्वोत्तर क्षेत्र और कच्छ। जोन पांच सबसे ज्यादा खतरे वाले हैं।
जानें-क्यों आते हैं भूकंप
हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊध्र्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है।
भूंकप के केंद्र और तीव्रता का क्या मतलब
भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है।
भूकंप के आने की स्थिति में क्या करें-
- यदि घाव या खरोंचे हैं तो प्राथमिक उपचार अवश्य कराएं.
-सड़क और गलियों को आपातकालीन वाहनों के आने-जाने के लिए साफ रखें.
- रेफ्रिजरेटर, टीवी गैस आदि को बंद कर दें.
-अपने पैरों की सुरक्षा के लिए जूते पहनें.
- ट्रांजिस्टर रेडियो से समाचार सुनते रहें. जिससे भूकंप के बारे में जानकारी मिलती रहे.
- क्षतिग्रस्त क्षेत्रों और बिल्डिंगों के आसपास भीड़ ना लगाएं.
- पानी को व्यर्थ नष्ट न होने दें. इसकी अति आवश्यकता आग बुझाने में होगी.
- अफवाहें न फैलाएं. इससे डर और अव्यवस्था फैलती है.
यदि अचानक भूकंप आ जाए तो क्या करें
घर से बाहर खुले में निकलें। घर में फंस गए हों तो बेड या मजबूत टेबल के अंदर छिप जाएं। घर के कोनों में खड़े हो सकते हैं और कोई उपाय नहीं हो तो छत पर भी जा सकते हैं। लिफ्ट की जगह सीढिय़ों का इस्तेमाल करें।
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