Ujjwal Bhattacharya
बनारस में एक वयोवृद्ध कामरेड थे त्रैलोक्यनाथ सरकार, बच्चे-बूढ़े सबके लिये सरकार दा. अपनी जवानी में वह अनुशीलन दल के क्रांतिकारी थे, फिर कम्युनिस्ट बने. पार्टी टूटने के बाद वह सीपीआईएम में गये, कुछ साल बाद सीपीआई में लौट आये.
काफ़ी उम्र हो जाने के बाद वह थोड़ा विक्षिप्त हो गये थे. भेलुपुरा से पैदल गोदौलिया तक आते थे, सीपीआई दफ़्तर के नीचे सामने के फ़ुटपाथ पर खड़े-खड़े देर तक लाल झंडे को देखते थे. फिर वहां से दशाश्वमेध की ओर बढ़ जाते थे. वहां सीपीआईएम के दफ़्तर के नीचे खड़े होकर देर तक लाल झंडे को देखते रहते थे.
कोई परिचित कामरेड मिल जाने पर कहते थे : दोनों को एक होना पड़ेगा.
यह उनका रोज़ का काम था.
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