Friday, March 3, 2017

अंबेडकरी विचारक किरवले की हत्या और विजयन के सर पर एक करोड़ का इनाम! संघ सिपाहसालार ने हजारों मुसलमानों को कब्रिस्तान भेजने की बात कहकर गुजरात दोहराने की चेतावनी दे दी! पलाश विश्वास

अंबेडकरी विचारक किरवले की हत्या और विजयन के सर पर एक करोड़ का इनाम!

संघ सिपाहसालार ने हजारों मुसलमानों को कब्रिस्तान भेजने की बात कहकर गुजरात दोहराने की चेतावनी दे दी!

पलाश विश्वास

यूपी में आखिरी चरण के लिए मतदान बाकी है।दलित शोध छात्र रोहित वेमुला के बाद कोल्हापुर में प्रखर अंबेडकरी विचारक किरवले की हत्या हो गयी।इससे ज्यादा खतरनाक बात यह है कि उज्जैन में आरएसएस ने गुजरात में हजारों मुसलमानों के कत्लेआम का इकबालिया बयान जारी करते हुए केरल के मुख्यमंत्री के सर पर एक करोड़ के इनाम का ऐलान कर दिया है।

कलबुर्गी,पानेसर,दाभोलकर के बाद रोहित वेमुला की हत्या और नजीब की गुमशुदगी के साथ किरवले की हत्या को जोड़कर देखें तो साफ तौर पर आरएसएस ने गुजरात नरसंहार दोहराने का अल्टीमेटम जारी कर दिया है और बहुजनों को भी चचेतावनी दे दी है कि अब हिंदूराष्ट्र में अंबेडकर विमर्श के लिए कोई जगह नहीं है।

जाहिर है कि केंद्र या राज्य में सत्ता हासिल करने या विशुध राजनीति या राजकाज से गांधी के हत्यारे कतई खुश नहीं हैं।वे राम राज्य से कम कुछ नहीं चाहते। रोहित के बाद किरवले की हत्या मनुस्मृति लागू करने के लिए भारतीय जनता के खिलाफ संघ परिवार की खुली युद्ध घोषणा है।

चंद्रावत ने जिस तरह आम सभा में गुजरात में हजारों मुसलमानों को मौत के घाटउतारने का ऐलान किया है,यह गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के महिमामंडन का असल एजंडा है।

चुनाव जीतने वाली स्थिर सरकार जिसे इशारे पर चल रही हो,वह अचानक इतना ज्यादा आक्रामक तेवर में आ जाये तो समझिये बहुत घनघोर संकट है।

जिस तरह विद्यार्थी परिषद ने दिल्ली में उधम मचाया और उसके बाद कोलकाता में भी वह सड़क पर बवाल खड़ा करने के मूड में है,जिस तरह केरल के मुख्यमंत्री के सर पर इनाम एक करोड़ का ऐलान करते हुए आरएसएस के सिपाहसालार ने अमेरिका और भारतीय न्याय प्रणाली की क्लीन चिट को हाशिये पर रखकर सीना ठोंककर कह दिया कि संघ ने गुजरात में हजारों मुसलमानों को कब्रिस्तान में भेज दिया।

इस ऐलान के बाद केरल के पलक्कड़ में तीन वाम कार्यकर्ताओं पर हमले भी हो गये।संघ परिवार इस इकबालिया बयान से पल्ला झाड़ने के लिए चंद्रावत को उनकी जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है,लेकिन अभी तक मध्यप्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।

इसी के मध्य कोल्हापुर से खबर आयी है कि कामरेड गोविन्द पानसरे के बाद अज्ञात हत्यारों ने आज सुबह कोल्हापुर वि वि में मराठी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ कृष्णा किरवले की उन्हीं के घर में घुस कर हत्या कर दी । डॉ किरवले अपने प्रखर अम्बेडकरवादी विचारों के लिए जाने जाते थे ।

खबरों के मुताबिक इस नृशंस हत्या का पैटर्न वही है जो हत्यारों ने क्रमशः डॉ नरेंद्र दाभोलकर, कॉ गोविन्द पानसरे और प्रो एम एम कलबुर्गी की हत्या के समय अपनाया था ।

गौरतलब है कि  इन तीनों प्रकरणों में हत्यारे अभी तक पकडे नही गये हैं और समाज के प्रगतिशील बौद्धिक नेतृत्व को हत्या जैसे हिंसक तरीकों से खामोश किये जाने की कोशिशें एक लंबे अरसे से जारी है।

इंडियन एक्सप्रेस ने चंद्रावत के कारनामे का ब्यौरा देते हुए हैरत जताया कि उन्हें  अभीतक गिरफ्तार क्यों नहीं किया है।इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिकः

Standing before a heaving crowd of Hindutva supporters in Ujjain on Wednesday, RSS leader Kundan Chandrawat made a frank admission: His "Hindu society" had sent thousands of Muslims to their deaths during the polarizing Gujarat riots. His admission, anchored in rhetoric, had macabre overtones.

At an event organized by the local Janadhikar Samiti, Chandrawat had launched a scathing attack on the Kerala Chief Minister Pinarayi Vijayan, alleging that Vijayan was responsible for the deaths of the RSS activists in Kerala. Enraged and excited, Chandrawat asked for Vijayan's head: "I, Dr Kundan Chandrawat, declare from this dais – I have wealth that is why I say this… property worth more than Rs 1 crore. Cut off Vijayan's head, and bring it to me, I will transfer my house and assets in your name! Such traitors don't have the right to live in the country. Such traitors don't have the right to murder democracy!" Leaning intimidatingly over the podium, his voice roared. "Have you forgotten Godhra? You killed 56, we sent 2000 to the graveyard," referring to the colossal anti-Muslim pogrom that left Gujarat scarred in 2002. In response, Chandrawat received a resounding applause.



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