--
Pl see my blogs;
Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!
বাঙালির সম্পূর্ণ ভূগোল,ইতিহাস,সংস্কৃতি,সাহিত্য, শিল্প,অর্থ,বাণিজ্য,বিশ্বায়ণ,রুখে দাঁড়াবার জেদ, বৌদ্ধময় ঐতিহ্য, অন্ত্যজ ব্রাত্য বহিস্কৃত শরণার্থী জীবন যাপনকে আত্মপরিচয়,চেতনা,মাতৃভাষাকে রাজনৈতিক সীমানা ডিঙিয়ে আবিস্কার করার প্রচেষ্টা এই ব্লগ,আপনার লেখাও চাই কিন্তু,যে স্বজনদের সঙ্গে যোগাযাগ নেই,তাঁদের খোঁজে এই বাস্তুহারা তত্পরতা,যেখবর মীডিয়া ছাপে না, যারা ক্ষমতার, আধিপাত্যের বলি প্রতিনিয়তই,সেই খবর,লেখা পাঠান,খবর দিন এখনই এই ঠিকানায়ঃpalashbiswaskl@gmail.com
यह वाकई मुश्किलों और चुनौतियों का दौर है। संविधान-प्रदत्त धर्मनिरपेक्षता ही नहीं, हमारा लोकतंत्र(वह चाहे जैसा-जिस शक्ल का रहा हो) भी खतरे में है। अभिव्यक्ति पर खतरे लगातार बढ़ रहे हैं। कांचा इलैय्या का ताजा प्रकरण तो एक बानगी भर है। पूरे देश में ऐसा हो रहा है। तीस्ता के प्रसंग में पहले ही हम देख चुके हैं। स्थानीय स्तर पर लेखकों-पत्रकारों-वकीलों-मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भी खुलेआम धमकियां या लानतें मिल रही हैं। हम सचमुच एक खतरनाक दौर में दाखिल हो चुके हैं। इस तरह की हरकतें और बढ़ेंगी। लोकतांत्रिक शक्तियों के सामने पहले से ज्यादा चुनौतियां हैं। दुखद है कि अभी तक इन चुनौतियों की गंभीरता का ज्यादातर को एहसास नहीं हो रहा है। देर हो जायेगी तो पानी सिर से ऊपर हो जायेगा। लोकतंत्र को डूबने से बचाना मुश्किल होगा।
No comments:
Post a Comment