135 साल के प्रेमचंद…आइए प्रेमचंद का जन्मदिन मनाएं…
हिंदी में प्रेमचंद हुए, इसलिए हम गोदान के होरी महतो से परिचित हुए और कफन को पढ़ सके…बूढ़ी काकी से लेकर राष्ट्र के सेवक तक से रूबरू हो सके। आज प्रेमचंद की 135वीं सालगिरह है, आइए समाज के बारे में उनकी कहानियों, उनकी समझ पर बात करते हैं…समाज पर उनके असर की बात करते हैं…
हिल्ले ले, प्रेमचंद की 135वीं सालगिरह पर उनको श्रद्धांजलि देता है और उनको याद करता है…अपने ही अंदाज़ में…आइए प्रेमचंद का जन्मदिन मनाते हैं…हल्कू, होरी, हामिद, धनिया और बूढ़ी काकी के साथ…
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